बुधवार, 18 जनवरी 2012

ब्रह्मचर्य साधना और आधुनिक तकनीकी का उपयोग


पहला प्रश्न यह उठता है कि क्या ब्रह्मचर्य साधना के लिए उन्नत या आधुनिक तकनीकों का आश्रय लेने में कोई तुक है?
इस पर विचार कर लेते हैं।
किसी भी परीक्षा में सफल या असफल होना तो कई बातों पर निर्भर है (जिनमें शायद भाग्य भी एक है) लेकिन परीक्षा में सफलता के लिए कुछ साधनों का उपलब्ध होना तो बहुत जरूरी हैं। यह तो हम ऍडवान्स में ही जानते हैं कि अगर सफल नहीं हुए तो इसपर  सन्तोष कर लेंगे कि कम-से-कम हमने मेहनत तो की। लेकिन यदि आप मेहनत करने के साथ-साथ किन साधनों के साथ मेहनत करनी है, किन तकनीकों के साथ मेहनत करनी है, यह नहीं जानते तो आप अपनी मेहनत के साथ खुद ही अन्याय करते हैं। फिर आप असफल होने पर कह भी लीजिये कि मेहनत तो की, लेकिन यह लगभग पहले ही निश्चित था कि मेहनत का क्या होगा। क्या सही तकनीकों और साधनों को जुटाना मेहनत का अंग नहीं है? तो फिर उनकी उपेक्षा क्यों की जाये। क्या छात्र का पढ़ने के लिए टेबल की माँग करना अनुचित है? क्या बाँसुरी सीखने वाला अच्छी क्वालिटी की बाँसुरी (भले ही वह थोड़ी मँहगी हो) के बिना सुर की बारीकियाँ सीख सकता है?  तो फिर ब्रह्मचर्य जैसी महान् परीक्षा के लिए बाहरी साधनों की उपेक्षा कैसे कर दी जाये? इसलिए हम यहाँ बतायेंगे कि ब्रह्मचर्य के लिए किन किन आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है।

गूगल डाक्युमेन्ट्स - गूगल डॉक्युमेन्ट्स आपको सर्वत्र उपलब्ध माइक्रोसॉफ़्ट वर्ड (Microsoft Word) के समान सुविधा देता है (हालाँकि इसके लिए इन्टरनेट उपलब्ध होना जरूरी है)। और इसीलिए अपने ब्रह्मचर्य से सम्बन्धित अनुभवों को आप गूगल डॉक्युमेन्ट्स में यथासमय दर्ज करते रह सकते हैं। दरअसल कॉपी-पेन से ऐसे अनुभव लिखने से हम अपनी निजता को खतरा महसूस कर सकते हैं। जो गूगल डॉक्युमेन्ट्स में काफ़ी कम है, अपने ऍकाउन्ट को हम खुद ही ऍक्सेस करते हैं। लेकिन फिर भी अपने विचारों को सन्तुलित भाषा में दर्ज करना स्वयं के भी हित में है।

मोबाइल फ़ोन पर रिमाइन्डर - यदि हम जानते हैं कि किसी समय विशेष पर हमारे संकल्प डिगने लगते हैं, तो प्रातःकाल (प्रायः यही समय सबसे सात्त्विक अनुभव का होता है) मोबाइल फ़ोन पर उस समय का रिमाइन्डर लगाकर अपना सर्वश्रेष्ठ संकल्प दर्ज कर सकते हैं, जिससे समय रहते हमें अपना संकल्प पुनः स्मरण हो जाये। और हाँ, ऐसा रिमाइन्डर ऐसी भाषा में दर्ज करें जो आपके मन-मस्तिष्क को सबसे ज्यादा छूती हो।

कम्प्यूटर - अपने कम्प्यूटर के वॉलपेपर पर ऐसा चित्र लगायें जिसे देखते ही ब्रह्मचर्य की ओर सहज वृत्ति जाग्रत हो। आप किसी महापुरुष का चित्र लगा सकते हैं।
इन्टरनेट पर अनुचित सामग्री देखने की वृत्ति से बचने के लिए भी यह उपाय सहायक होता है। कुछ लोग अपने परिवार के सदस्यों का फ़ोटोग्राफ़ वॉलपेपर के रूप में लगाकर भी इस बुराई से दूर रह पाते हैं।
कम्प्यूटर में आप ब्रह्मचर्य के विचारों को एक साथ संग्रह करके भी रख सकते हैं और उन्हें प्रतिदिन पढ़ने से ब्रह्मचर्य की वृत्ति का विकास होता रहता है। जिस दिन आपको इन्टरनेट उपलब्ध न हो सके (यानी जब भूमध्य सागर में तार टूट जाये :) ) और आप नेट पर ब्रह्मचर्य विषयक सामग्री पढ़ने में अक्षम हों, तब आप ऐसे संगृहीत विचारों का उपयोग कर सकते हैं।

टी.व्ही./प्लेयर पर भजन/प्रेरक गीत सुनना - यह तकनीकी तो इतना आम है कि इसे आधुनिक तकनीक की श्रेणी में गिनना भी मुश्किल लगता है। इससे भी आत्मोद्धार होता ही है। हमारे यहाँ यह सर्वमान्य है कि सद्वाक्य चाहे जैसे भी कानों में पड़ें आखिर भला ही करते हैं।
यदि इस प्रकार भजन सुनकर हम अपने आप को अधोगामी वृत्तियों से बचा पाते हैं तो इससे बड़ा लाभ क्या होगा। मन को कहीं तो आश्रय चाहिये, यदि भजनों इत्यादि में आश्रय दे दिया जाये तो मन को गलत जगह जाने का खाली समय ही नहीं मिलेगा। प्रेरक गीतों को सुनने से आत्मबल भी बढ़ेगा।

इसी प्रकार जो भी उन्नत या आधुनिक तकनीकें ब्रह्मचर्य एवं संयम के पालन में सहायक हो सकती हों उनका उपयोग किया जा सकता है। याद रखें, तकनीकी तो तटस्थ (न्यूट्रल्) है, उसका सदुपयोग या दुरुपयोग व्यक्ति पर निर्भर है। अतः तकनीकों का सदुपयोग करके हम उन तकनीकों से श्रेष्ठतम लाभ भी प्राप्त कर पायेंगे।

॥ शुभकामनाओं सहित 

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